राजाजी राष्ट्रीय पार्क के कोर जोन (रेंज) 15 नवंबर से 15 जून तक ही घूमने के लिए पर्यटकों को उपलब्ध रहते हैं | परन्तु बफर जोन (जंगल से जुड़े वो गांव जिसमे लोकल गांव वाले आराम से आ जा सकते हैं ) में आने वाली रेंज के कुछ रास्ते हमेशा खुले रहते हैं | क्योंकि वहां पर लोकल गांव वाले अपने कार्यों के लिए आते जाते रहते हैं | फिर भी यह रास्ता होता वन क्षेत्र ही है | जिसमे फारेस्ट चौकी से परमिट लेकर अथवा यहाँ एंट्री कराकर ही आया जाया जा सकता है | इस मार्ग पर जंगली जानवरों के दिखाई देने की संभावना कम होती है, फिर भी हाथी, तेंदुआ, हिरन, जंगली सूअर, मोर व अन्य जीव कभी भी आ सकते हैं | मुख्यतः हाथी के आने पर रास्ता बाधित हो सकता है |
गोहरी रेंज भी एक बफर रेंज है, और प्रकृति से परिपूर्ण है | अगर आप एक जंगल को खुली जिप्सी में अनुभव करना चाहते हैं तो मानसून का समय बिलकुल उचित है | गोहरी रेंज का का किमसार वाला मार्ग जिसकी दुरी लगभग 20 किमी है आपको रोमांच से भर देगा | यह एक पहाड़ी मार्ग है, ऊपर पहुँचने पर राजाजी के जंगल, बीन नदी, गंगा नदी और आस-पास के क्षेत्र का विहंगम दृशय दिखाई देता है |
इसका दूसरा मार्ग बीन नदी से होकर विंध्यवासिनी मंदिर तक जाता है | जिसमे जिप्सी को कई जगह भरे हुए पानी को भी पार करना पड़ता है, मंदिर तक पहुँचने का मार्ग लगभग 13 किमी है | वहां पहुँच कर पर्यटक देवी माता के दर्शन के लिए 500 मीटर की हाईकिंग करते हैं, नदी के उथले पानी में एन्जॉय करते हैं, वहां पर बैठ कर मैगी, चाय, कॉफी का आनंद लेते हैं | बरसात में विंध्यवासिनी मार्ग बीन नदी में पानी के अत्यधिक उफान आने के कारण बंद कर दिया जाता है| नदी के सामान्य होने पर ही इस सफारी को किया जा सकता है |